Gold Spot Exchange India: सरकार ने गोल्ड स्पॉट एक्सचेंज की तैयारी पूरी कर ली है। जल्द ही इसका नोटिफिकेशन जारी हो सकता है। गोल्ड प्राइस टूडे को सूत्रों से एक्सक्लूसिव खबर मिली है कि गोल्ड स्पॉट एक्सचेंज से जुड़े कानून अंतिम चरण में है।
गोल्ड स्पॉट एक्सचेंज है क्या (What Is Gold Spot Exchange)। दरअसल शेयर बाजार की तरह ही सोने की स्पॉट ट्रेडिंग के लिए प्लेटफॉर्म बनाया जा रहा है। इसकी बात सबसे पहले 2018-19 के बजट में की गई थी।
पहली बात ये समझ लें कि अभी जो MCX पर सोने, चांदी में वायदा कारोबार होता है उससे स्पॉट एक्सचेंज एकदम अलग होगा। मामले की जानकारी रखने वाले एक सूत्र ने बताया कि सेबी और रिजर्व बैंक स्पॉट एक्सचेंज के नियमों को अंतिम रूप दे रहे हैं।
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वहीं बीएसई से जुड़े एक सूत्र ने बताया कि उनका सॉफ्टवेयर तैयार हो चुका है। MCX के सूत्रों के मुताबिक गोल्ड स्पॉट एक्सचेंज को लेकर उनकी तैयारी भी पूरी है। अब बस सरकार की तरफ से नियम जारी होने का इंतजार है।
इस एक्सचेंज में शेयर की तरह सोने की ट्रेडिंग (Gold Trading) होगी और T+3 या T+2 में सोने की डिलीवरी होगी। इसका अर्थ है अगर आपने एक्सचेंज पर सोना खरीदा है तो ट्रेडिंग वाले दिन को छोड़कर 2 या 3 दिन बाद सोने की डिलीवरी (ये सिर्फ समझने के लिए है अभी ये तय नहीं हुआ है) हो जाएगी। इसमें ज्वेलर्स सोने की बिक्री भी कर सकेंगे।
कमोडिटी पार्टिसिपेंट्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (CPAI) के नेशनल प्रेसीडेंट और एसकेआई के सीएमडी नरिंदर वाधवा ने 7वें इंटरनेशनल कन्वेंशन समिट के साइडलाइन में कहा कि सोने के स्पॉट एक्सचेंज से प्राइस डिस्कवरी में फायदा होगा।
अभी ज्वेलर्स हर शहर में MCX पर सोने के भाव की चाल और IBJA (Indian Bullion Jewellery Association) के रेट देखकर सोने के भाव तय करते हैं। सरकार भी IBJA के दाम से ही सोवेरन गोल्ड बॉन्ड का दाम तय करती है। स्पॉट एक्सचेंज आने से ज्वेलर्स को रोजाना भाव तय करने में भी आसानी होगी।
भारत सोने की खपत करने वाला चीन के बाद विश्व का दूसरा बड़ा देश है लेकिन यहां से सोने के दाम (Gold Price) तय नहीं होते। भारत में सोने के दाम अमेरिका के कॉमेक्स और लंदन के एलएमई से देखकर होते हैं। स्पॉट एक्सचेंज इस ट्रेंड को भी कम करने में मदद करेगा।
इस एक्सचेंज पर आम ग्राहकों के अलावा बैंक, इंपोर्टर्स, रिफाइनर्स, ट्रेडर्स, ज्वेलर्स, मैन्युफैक्चरर और दूसरे वित्तीय संस्थानों को ट्रेडिंग की सुविधा मिलेगी। इस एक्सचेंज का एक बड़ा फायदा ये होगा कि ज्वेलर्स और ग्राहकों को प्रमाणित शुद्ध सोना मिलेगा।
गोल्ड स्पॉट एक्सचेंज को लॉन्च करने में देश के 3 बड़े स्टॉक एक्सचेंज जुटे हैं। BSE, NSE और MCX ने स्पॉट एक्सचेंज से जुड़ी तैयारी लगभग पूरी कर ली है। दरअसल इन एक्सचेंज पर पहले से ही शेयर की ट्रेडिंग होती है इसलिए इनको सिर्फ सॉफ्टवेयर और टेक्नोलॉजी से जुड़े कुछ बदलाव ही करने होंगे।
स्पॉट एक्सचेंज आने से ज्वेलर्स के लिए इंपोर्ट का झंझट थोड़ा खत्म होगा। वहीं वो एक्सचेंज पर हेजिंग भी कर सकेंगे। जैसे शेयर बाजार का रेगुलेटर सेबी है ऐसे ही गोल्ड स्पॉट एक्सचेंज का रेगुलेटर गोल्ड बोर्ड होगा। जल्द ही गोल्ड बोर्ड (Gold Board) बनाने का भी एलान होने वाला है।
स्पॉट एक्सचेंज को लेकर कुछ चुनौतियां भी हैं। दरअसल सोने की ट्रेडिंग शुरू होने से पहले उसको रखने के लिए वॉल्ट चाहिए। जैसे अभी शेयर की डिपॉजिटरी NSDL और CDSL है वैसे ही सोने की डिपॉजिटरी की जरूरत पड़ेगी। अभी इस तरह की डिपॉजिटरी सोने (Gold Depository) के लिए नहीं है।
भारत में अभी वेयर हाउसिंग के रेगुलेशन वेयरहाउसिंग डेवलपमेंट एंड रेगुलेटरी अथॉरिटी (Warehousing Development and Regulatory Authority) देखती है। ये सिर्फ कृषि से जुड़ी हुई है।
मेटल और सोने के लिए अभी ऐसी कोई अथॉरिटी नहीं है जो उनकी वेयरहाउसिंग को रेगुलेट करे। जानकारों के मुताबिक सोने और मेटल के लिए इसका काम NSDL और CDSL के हवाले किया जा सकता है।
मुंबई में उम्मेदमल तिलोकचंद जवेरी के डायरेक्टर कुमार जैन के मुताबिक गोल्ड स्पॉट एक्सचेंज आने का सीधा फायदा सरकार को होगा। इससे सोने का सालाना इंपोर्ट 200 टन घटने की संभावना है। अभी 800 से 900 टन सोना इंपोर्ट होता है। इससे ज्वेलर्स के लिए सोने की आसानी से उपलब्धता होगी। जिससे उनको भी फायदा होगा।
ज्वेलर्स के सामने एक और दिक्कत आ सकती है दरअसल अभी पूरे देश में सोने के भाव अलग-अलग हैं लखनऊ में 10 ग्राम सोना 36 हजार रुपए में मिल रहा तो चेन्नई में इसका भाव 33160 रुपए है। अगर हम इसमें 3 फीसदी जीएसटी भी जोड़ें तो ये भाव लखनऊ के भाव के करीब नहीं पहुंचता है।
जब स्पॉट एक्सचेंज आएगा तो ज्वेलर्स को एक्सचेंज के भाव के हिसाब से ही सोना बेचना पड़ेगा। ऐसे में ज्वेलर्स को शुरूआत में एक बार भाव सेट करने में दिक्कत हो सकती है।
मामले की जानकारी रखने वाले एक सूत्र ने बताया कि गोल्ड स्पॉट एक्सचेंज के नियम आने के बाद गोल्ड स्पॉट एक्सचेंज को शुरू होने में करीब 1 साल लग जाएगा। इसमें वेयरहाउसिंग के नियम कायदेऔर ट्रेडर्स के रजिस्ट्रेशन में समय लगेगा।
चीन में पहले से ही इस तरह का शंघाई गोल्ड स्पॉट एक्सचेंज काम कर रहा है। भारत में 20 हजार से 25 हजार टन सोना लोगों के पास पड़ा है। इसके अलावा भारत हर साल 700 से 800 टन सोना विदेश से आयात कर रहा है। ये सोना देश की इकोनॉमी के काम नहीं आ रहा है। सरकार सोने से जुड़े सभी मामलों के लिए गोल्ड पॉलिसी बना रही है जिसका एक हिस्सा गोल्ड स्पॉट एक्सचेंज भी है।