Guru Nanak Jayanti is a popular sacred festival in Sikhism. It celebrates the birth of the first Sikh Guru and Sindhi Community in Guru.
When is Guru Nanak Jayanti in 2019
Date | Day | States |
12 November 2019 | Tuesday | Punjab, Haryana, and Chandigarh |
Sikhism is one of the major religions of the world, spread over a number of countries. One of the most important Sikh festivals is Guruparb. A Gurpurab usually marks the celebration of an anniversary of a Guru’s birth. To mark the birth anniversary of Guru Nanak, the founder of Sikhism, the Sikh community celebrates Guru Nanak Jayanti or Gurpurab. It is considered to be one of their holiest festivals.
Guru Nank Jayanti 2019: Date of the festival
Guru Nanak Jayanti is celebrated on the full moon day of Kartik month, also known as Kartik Poornima. This year, followers of Guru Nanak will celebrate the Guru Nanak Jayanti on November 12, 2019.
Guru Nank Jayanti: Significance and history
Founder of Sikhism and a preacher of peace and servicing, Guru Nanak was born in a village named Rai Bhoi di Talwandi. It is presently popular as Nankana Sahib, near Lahore, Pakistan. He set up various spiritual, social and political platforms, which were constituted on the principles of quality, goodness, and virtue. His teachings are preserved in the holy texts of the Guru Granth Sahib.
While some scholars and organizations believe the birthday of Guru Nanak should be celebrated on Vaisakhi, which falls on April 14, according to the original Nanakshahi Calendar. However, people prefer to continue the tradition of celebrating it on the Full Moon Day (Pooranmashi or Purnima) of the Karthik month.
To mark the celebration, Sikhs start doing pheris 15 days before the celebration. Two days before the birthday, Akhand Path (a forty-eight-hour non-stop reading of the Guru Granth Sahib) is held in the Gurdwaras. A day prior to the birthday, a procession, referred to as Nagarkirtan, is organised.
Guru Nanak Jayanti 2019: सिख धर्म के संस्थापक गुरु नानक जी (Guru Nanak Jayanti) के जन्म दिवस के दिन गुरु पर्व (Guru Parv) या प्रकाश पर्व (Prakash Parv) मनाया जाता है. गुरु नानक जयंती के दिन सिख समुदाय के लोग ‘वाहे गुरु, वाहे गुरु’ जपते हुए सुबह-सुबह प्रभात फेरी निकालते हैं. गुरुद्वारे में शबद-कीर्तन करते हैं, रुमाला चढ़ाते हैं, शाम के वक्त लोगों को लंगर खिलाते हैं. गुरु पर्व (Guru Parv) के दिन सिख धर्म के लोग अपनी श्रृद्धा के अनुसार सेवा करते हैं और गुरु नानक जी के उपदेशों यानी गुरुवाणी का पाठ करते हैं. आपको बता दें कि गुरु नानक जयंती कार्तिक पूर्णिमा (Kartik Purnima) के दिन मनाई जाती है. इस दिन देवों की दीवाली यानी देव दीपावली भी होती है.
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गुरु नानक जयंती कब है?
हिन्दू पंचांग के अनुसार कार्तिक मास की पूर्णिमा को गुरु नानक जयंती मनाई जाती है. ग्रेगोरियन कैलेंडर के मुताबिक गुरु पर्व हर साल नवंबर महीने में आता है. इस बार गुरु नानक जयंती 12 नवंबर 2019 को है. हर साल कार्तिक पूर्णिमा के दिन ही गुरु पर्व (Guru Parv) मनाया जाता है.
गुरु नानक जयंती क्यों मनाई जाती है?
गुरु पर्व या प्रकाश पर्व (Guru Parv or Prakash Parv) गुरु नानक जी (Guru Nanak Ji) की जन्म की खुशी में मनाया जाता है. सिखों के प्रथम गुरु नानक देव जी का जन्म 1469 को राय भोई की तलवंडी (राय भोई दी तलवंडी) नाम की जगह पर हुआ था, जो अब पाकिस्तान के पंजाब प्रांत स्थित ननकाना साहिब (Nankana Sahib) में है. इस जगह का नाम ही गुरु नानक देव जी के नाम पर पड़ा. यहां बहुत ही प्रसिद्ध गुरुद्वारा ननकाना साहिब (Gurdwara Nankana Sahib) भी है, जो सिखों का प्रसिद्ध धार्मिक स्थल माना जाता है. इस गुरुद्वारे को देखने के लिए दुनिया भर से लोग आते हैं. बता दें, शेर-ए पंजाब (Sher-E-Punjab) नाम से प्रसिद्ध सिख साम्राज्य के राजा महाराजा रणजीत सिंह (Maharaja Ranjit Singh) ने ही गुरुद्वारा ननकाना साहिब का निर्माण करवाया था. सिख समुदाय के लोग दीपावली के 15 दिन बाद आने वाली कार्तिक पूर्णिमा के दिन ही गुरु नानक जयंती मनाते हैं.
गुरु नानक जी कौन थे?
गुरु नानक जी (Guru Nanak) सिख समुदाय के संस्थापक और पहले गुरु थे. उन्होंने ही सिख समाज की नींव रखी. उनके अनुयायी उन्हें नानक देव जी, बाबा नानक और नानकशाह कहकर पुकारते हैं. वहीं, लद्दाख और तिब्बत में उन्हें नानक लामा (Nanak Lama) कहा जाता है. गुरु नानक जी ने अपना पूरा जीवन मानवता की सेवा में लगा दिया. उन्होंने सिर्फ भारत में ही नहीं बल्कि अफगानिस्तान, ईरान और अरब देशों में भी जाकर उपदेश दिए. पंजाबी भाषा में उनकी यात्रा को ‘उदासियां’ कहते हैं. उनकी पहली ‘उदासी’ अक्टूबर 1507 ईं. से 1515 ईं. तक रही. 16 साल की उम्र में सुलक्खनी नाम की कन्या से शादी की और दो बेटों श्रीचंद और लखमीदास के पिता बने. 1539 ई. में करतारपुर (जो अब पाकिस्तान में है) की एक धर्मशाला में उनकी मृत्यु हुई. मृत्यु से पहले उन्होंने अपने शिष्य भाई लहना को उत्तराधिकारी घोषित किया जो बाद में गुरु अंगद देव नाम से जाने गए. गुरु अंगद देव ही सिख धर्म के दूसरे गुरु बने.
गुरु नानक जी के उपदेश
1. ईश्वर एक है. वह सर्वत्र विद्यमान है. हम सबका “पिता” वही है इसलिए सबके साथ प्रेम पूर्वक रहना चाहिए.
2. तनाव मुक्त रहकर अपने कर्म को निरंतर करते रहना चाहिए तथा सदैव प्रसन्न भी रहना चाहिए.
3. गुरु नानक देव पूरे संसार को एक घर मानते थे जबकि संसार में रहने वाले लोगों को परिवार का हिस्सा.
4. किसी भी तरह के लोभ को त्याग कर अपने हाथों से मेहनत कर एवं न्यायोचित तरीकों से धन का अर्जन करना चाहिए.
5. कभी भी किसी का हक नहीं छीनना चाहिए बल्कि मेहनत और ईमानदारी की कमाई में से ज़रुरतमंद को भी कुछ देना चाहिए.
6. लोगों को प्रेम, एकता, समानता, भाईचारा और आध्यत्मिक ज्योति का संदेश देना चाहिए.
7. धन को जेब तक ही सीमित रखना चाहिए. उसे अपने हृदय में स्थान नहीं बनाने देना चाहिए.
8. स्त्री-जाति का आदर करना चाहिए. वह सभी स्त्री और पुरुष को बराबर मानते थे.
9. संसार को जीतने से पहले स्वयं अपने विकारों पर विजय पाना अति आवश्यक है.
10. अहंकार मनुष्य को मनुष्य नहीं रहने देता अतः अहंकार कभी नहीं करना चाहिए बल्कि विनम्र हो सेवाभाव से जीवन गुजारना चाहिए.
सिख धर्म के गुरुओं के नाम
पहले गुरु – गुरु नानक देव
दूसरे गुरु – गुरु अंगद देव
तीसरे गुरु – गुरु अमर दास
चौथे गुरु – गुरु राम दास
पाचंवे गुरु – गुरु अर्जुन देव
छठे गुरु – गुरु हरगोबिन्द
सातवें गुरु – गुरु हर राय
आठवें गुरु – गुरु हर किशन
नौवें गुरु – गुरु तेग बहादुर
दसवें गुरु – गुरु गोबिंद सिंह
दस गुरुओं के बाद गुरु ग्रन्थ साहिब (Gur Granth Sahib) को ही सिख धर्म का प्रमुख धर्मग्रंथ माना गया. गुरु ग्रन्थ साहिब में कुल 1430 पन्ने हैं, जिसमें सिख गुरुओं के उपदेशों के साथ-साथ 30 संतों की वाणियां भी शामिल हैं.
Guru Nanak Jayanti 2019: सिख धर्म के संस्थापक गुरु नानक देव जी के जन्म दिवस को पूरे देश में बुहत उल्लास के साथ मनाया जाता है। हर साल कार्तिक पूर्णिमा के दिन गुरु नानक देव जी की जयंती पूरे देश में मनाई जाती है। इस बार कार्तिक पूर्णिमा 12 नवंबर को पड़ रही है जिसे पूरे देश में गुरु पर्व के रूप में मनाया जा रहा है। पूरा सिख समाज इकट्ठा होकर गुरु पर्व मनाता है। प्रभात फेरी निकाली जाती हैं और जगह-जगह कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है। कई दिनों पहले से ही जश्न शुरू हो जाता है जगह-जगह कीर्तन होते हैं और लंगर बांटे जाते हैं।
गुरु नानक का जन्म 1469 में श्री ननकाना साहिब में हुआ था, जो अब पाकिस्तान में हैं। गुरु नानक जी के पिता का नाम मेहता कालू था और माता का नाम तृप्ता देवी था। उनकी एक बहन भी थी जिनका नाम नानकी था। इसके अलावा गुरु नानक जी के दो बेटे थे एक का नाम श्रीचंद और दूसरे बेटे का नाम लख्मीदास था। वहीं उनकी पत्नी बटाला की रहने वाली थीं जिनका नाम सुल्लखणी था। गुरु नानक जी बचपन से ही गंभीर स्वभाव के थे और रुढिवाजी विचारधारा का विरोध करते थे। उन्होंने सिख धर्म की स्थापना की थी।
गुरु नानक जी ने अपनी पूरी जिंदगी मानवता की सेवा में लगा दी। उन्होंने भारत के अलावा दूसरे देशों जैसे ईरान, अफगानिस्तान और अरब देशों में भी जाकर लोगों को पाखंडवाद से दूर रहने की शिक्षा दी। गुरु पर्व को गुरमति समागत आयोजित किया जाता है इसमें नानक जी की बाणी और उनकी शिक्षाओं से संगत को निहाल किया जाता है। गुरु नानक जी के जन्म दिन पर पढ़ें उनके 10 मशहूर दोहे, जो आपकी जिंदगी बदल देंगे…
एक ओंकार सतिनाम, करता पुरखु निरभऊ।
निरबैर, अकाल मूरति, अजूनी, सैभं गुर प्रसादि।।
सालाही सालाही एती सुरति न पाइया।
नदिआ अते वाह पवही समुंदि न जाणी अहि।।
जगत में झूठी देखी प्रीत।
अपने ही सुखसों सब लागे, क्या दारा क्या मीत।।
मन मूरख अजहूं नहिं समुझत, सिख दै हारयो नीत।
नानक भव-जल-पार परै जो गावै प्रभु के गीत।।
धनु धरनी अरु संपति जो मानिओ अपनाई।
तन छूटै कुछ संग न चाले, कहा ताहि लपटाई।।
पवणु गुरु पानी पिता माता धरति महतु।
दिवस रात दुई दाई दाइआ खेले सगलु जगतु।।
दीन दयाल सदा दु:ख-भंजन, ता सिउ रुचि ने बढाई।
नानक कहत जगत सभ मिथिआ, ज्यों सुपना रैनाई।।
हुकमी उत्तम नीचु हुकमि लिखिच दुखसुख पाई अहि।
इकना हुकमी बक्शीस इकि हुकमी सदा भवाई अहि।।
हरि बुनि तेरो को न सहाई।
काकी मात-पिता सुत बनिता, को काहू को भाई।।
मेरो मेरो सभी कहत हैं, हित सों बाध्यौ चीत।
अंतकाल संगी नहिं कोऊ, यह अचरज की रीत।।
श्री गुरु नानक देव जी ने दुनिया को ‘नाम जपो, किरत करो, वंड छको’ का संदेश देकर समाज में भाईचारक सांझ को मजबूत किया और एक नए युग की शुरुआत की। सामाजिक कुरीतियों का विरोध करके उन्होंने समाज को नई सोच और दिशा दी। गुरु जी ने ही समाज में व्याप्त ऊंच-नीच की बुराई को खत्म करने और भाईचारक सांंझ के प्रतीक के रूप में सबसे पहले लंगर की शुरुआत की।
उनका जन्म 1469 में श्री ननकाना साहिब (पाकिस्तान) में हुआ। हर वर्ष कार्तिक पूर्णिमा का दिन देश विदेश में उनके प्रकाश पर्व के रूप में हर्षोल्लास से मनाया जाता है। गुरमति समागम आयोजित कर गुरु जी की बाणी और उनकी शिक्षाओं से संगत को निहाल किया जाता है। गुरु नानक नाम लेवा संगत उन्हें बाबा नानक और नानकशाह फकीर भी कहती है।
गुरु नानक देव जी ने अपना पूरा जीवन मानवता की सेवा में लगा दिया। उन्होंने सिर्फ भारत में ही नहीं बल्कि अफगानिस्तान, ईरान और अरब देशों में भी जाकर लोगों को पाखंडवाद से दूर रहने की शिक्षा दी। गुरु जी के जन्मदिवस को गुरु पर्व या प्रकाश पर्व के रूप में मनाया जाता है। श्री ननकाणा साहिब में प्रसिद्ध गुरुद्वारा श्री ननकाना साहिब भी है। इसका निर्णाण महाराजा रणजीत सिंह ने करवाया था।
प्रकाशपर्व के दिन जहां गुरुद्वारों में भव्य सजावट की जाती है, अखंड पाठ साहिब के भोग डालेे जाते हैं और लंगर बरताए जाते हैं। प्रकाश पर्व से पहले प्रभातफेरियों निकालकर गुरु जी के आगमन पर्व की तैयारियां शुरू कर दी जाती हैं। संगत सतनाम श्री वाहेगुरु और बाणी का जाप करते हुए चलती है। शहरों में भव्य नगर कीर्तन निकाले जाते हैं। सभी जत्थों का जगह-जगह पर भव्य स्वागत किया जाता है। धार्मिक दीवान सजाए जाते हैं और शबद कीर्तन किया जाता है। गुरुद्वारों में दिन रात धार्मिक कार्यक्रम जारी रहते हैं।
श्री गुरु नानक देव जी के जीवन से जुड़े अहम पहलू
1. गुरू नानक देव जी के पिता का नाम मेहता कालू था, वहीं माता का नाम तृप्ता देवी, था। गुरु नानक देव जी की बहन नानकी थीं।
2. नानक देव जी बचपन से ही धीर-गंभीर स्वभाव के थे। उन्होंने बाल्यकाल से ही रूढ़िवादी सोच का विरोध किया।
3. एक बार उनके पिता जी ने उनको 20 रुपये देकर बाजार भेजा और बोले कि सच्चा सौदा लेकर आना। उन्होंने उन रुपयों से भूखे साधुओं को भोजन करा दिया। लौटकर उन्होंने पिता जी से कहा कि वे खरा सौदा कर आए हैं।
4. गुरु नानक देव जी की पत्नी का नाम सुल्लखणी था, वह बटाला की रहने वाली थीं। उनके दो बेटे थे, एक बेटे का नाम श्रीचंद और दूसरे बेटे का नाम लख्मीदास था।
5. नानक देव जी ने सिख धर्म की स्थापना की थी, वे सिखों के प्रथम गुरू हैं। वे अंधविश्वास और आडंबरों के सख्त विरोधी थे।
6. नानक देव जी एक दार्शनिक, समाज सुधारक, कवि, गृहस्थ, योगी और देशभक्त थे।
7. नानक जी जात-पात के खिलाफ थे। उन्होंने समाज से इस बुराई को खत्म करने के लिए लंगर की शुरुआत की। इसमें अमीर-गरीब, छोटे-बड़े और सभी जाति के लोग एक साथ बैठकर भोजन करते हैं।
8. नानक देव जी ने ‘निर्गुण उपासना’ का प्रचार प्रसार किया। वे मूर्ति पूजा के खिलाफ थे। उनका कहना था कि ईश्वर एक है, वह सर्वशक्तिमान है, वही सत्य है।
9. नानक देव जी ने समाज को जागरूक करने के लिए चार उदासियां (यात्राएं) कींं। उन्होंने हरिद्वार, अयोध्या, प्रयाग, काशी, गया, पटना, असम, बीकानेर, पुष्कर तीर्थ, दिल्ली, पानीपत, कुरुक्षेत्र, जगन्नाथपुरी, रामेश्वर, सोमनाथ, द्वारका, नर्मदातट, मुल्तान, लाहौर आदि स्थानों का भ्रमण किया।