Mission Chandrayaan 3 Fully Successful | Vikram lander successfully lands on Moon

Mission Chandrayaan 3 Fully Successful, 08 August 2023: विक्रम लैंडर चंद्रमा पर सफलतापूर्वक उतरा, (भारत चंद्रमा पर उतरा) मोदी ने इसरो, देश को ढेरों बधाई दी.

Chandrayaan-3 की सफलता से देश का कद बढ़ गया है. इसरो का सम्मान बढ़ा है. लोग गर्व महसूस कर रहे हैं. लेकिन इससे फायदा क्या. ये तो सिर्फ फीलिंग वाली बात हो गई. इस सफलता से देश, इसरो और आम लोगों को क्या फायदा. उन लोगों को क्या लाभ जो रोजमर्रा मेहनत करते हैं. दो जून की रोटी के लिए दिनभर खून-पसीना एक करते हैं. 

14 जुलाई 2023 को देश के सबसे भारी रॉकेट LVM3 से चंद्रयान-3 को लॉन्च किया गया. करीब 42 दिन की यात्रा करके उसने चांद की सतह पर लैंडिंग कर दी है. चंद्रयान-3 की लैंडिंग के बाद वह क्या काम करेगा? 

विक्रम लैंडर पर चार पेलोड्स क्या काम करेंगे?

  • रंभा (RAMBHA)… यह चांद की सतह पर सूरज से आने वाले प्लाज्मा कणों के घनत्व, मात्रा और बदलाव की जांच करेगा. 
  • चास्टे (ChaSTE)… यह चांद की सतह की गर्मी यानी तापमान की जांच करेगा. 
  • इल्सा (ILSA)… यह लैंडिंग साइट के आसपास भूकंपीय गतिविधियों की जांच करेगा. 
  • लेजर रेट्रोरिफ्लेक्टर एरे (LRA) … यह चांद के डायनेमिक्स को समझने का प्रयास करेगा.

प्रज्ञान रोवर पर दो पेलोड्स हैं, वो क्या करेंगे? 

1. लेजर इंड्यूस्ड ब्रेकडाउन स्पेक्ट्रोस्कोप (Laser Induced Breakdown Spectroscope – LIBS). यह चांद की सतह पर मौजूद केमकल्स यानी रसायनों की मात्रा और गुणवत्ता की स्टडी करेगा. साथ ही खनिजों की खोज करेगा. 

2. अल्फा पार्टिकल एक्स-रे स्पेक्ट्रोमीटर (Alpha Particle X-Ray Spectrometer – APXS). यह एलिमेंट कंपोजिशन की स्टडी करेगा. जैसे- मैग्नीशियम, अल्यूमिनियम, सिलिकन, पोटैशियम, कैल्सियम, टिन और लोहा. इनकी खोज लैंडिंग साइट के आसपास चांद की सतह पर की जाएगी. 

वैज्ञानिकों के लिए क्या है फायदा…

कुल मिलाकर विक्रम लैंडर और प्रज्ञान रोवर मिलकर चांद के वायुमंडल, सतह, रसायन, भूकंप, खनिज आदि की जांच करेंगे. इससे इसरो समेत दुनियाभर के वैज्ञानिकों को भविष्य की स्टडी के लिए जानकारी मिलेगी. रिसर्च करने में आसानी होगी. ये तो हो गई वैज्ञानिकों के लिए फायदे की बात. 

देश को क्या फायदा होगा…

भारत दुनिया का चौथा देश है, जिसने यह सफलता हासिल की है. इससे पहले यह कीर्तिमान अमेरिका, रूस (तब सोवियत संघ) और चीन ने स्थापित किया था.  

ISRO को क्या फायदा होगा…

इसरो दुनिया में अपने किफायती कॉमर्शियल लॉन्चिंग के लिए जाना जाता है. अब तक 34 देशों के 424 विदेशी सैटेलाइट्स को छोड़ चुका है. 104 सैटेलाइट एकसाथ छोड़ चुका है. वह भी एक ही रॉकेट से. चंद्रयान-1 ने चांद पर पानी खोजा. चंद्रयान-2 का ऑर्बिटर आज भी काम कर रहा है. उसी ने चंद्रयान-3 के लिए लैंडिंग साइट खोजी. मंगलयान का परचम तो पूरी दुनिया देख चुकी है. चंद्रयान-3 की सफलता इसरो का नाम दुनिया की सबसे बड़ी स्पेस एजेसियों में शामिल कर देगी. 

आम आदमी को होगा ये फायदा…

चंद्रयान और मंगलयान जैसे स्पेसक्राफ्ट्स में लगे पेलोड्स यानी यंत्रों का इस्तेमाल बाद में मौसम और संचार संबंधी सैटेलाइट्स में होता है. रक्षा संबंधी सैटेलाइट्स में होता है. नक्शा बनाने वाले सैटेलाइट्स में होता है. इन यंत्रों से देश में मौजूद लोगों की भलाई का काम होता है. संचार व्यवस्थाएं विकसित करने में मदद मिलती है. निगरानी आसान हो जाती है.

भारत ने इसके पहले भी कई बड़े मिशन भेजे हैं, हम आपको भारत के उन बड़े मिशन के बारे में बताते हैं, जिसने दुनिया भर में हिंदुस्तान का सिर गर्व से ऊंचा किया है.

1आर्यभट्ट, 1975: इस मिशन के लिए स्पेस्क्राफ्ट का नाम प्रसिद्ध भारतीय खगोलशास्त्री आर्यभट्ट के नाम पर रखा गया था. ये देश का पहला सेटेलाइट था. भारत के अंतरिक्ष अनुसंधान में इसे एक मील का पत्थर माना जाता है, क्योंकि इसे पूरी तरह से देश में ही डिजाइन किया गया था. 1975 में इसे रूस की मदद से लॉन्च किया गया था.

2. भारतीय राष्ट्रीय उपग्रह प्रणाली (INSAT), 1983: ये सिस्टम सेटेलाइट का एक नेटवर्क है, जो पूरे दक्षिण एशियाई क्षेत्र में संचार और प्रसारण की सुविधा देती है. इसका पहला सेटेलाइट 1983 में कक्षा में स्थापित किया गया था.

इसी की मदद से और भारत के टेलीविजन और रेडियो प्रसारण के साथ-साथ दूरसंचार और मौसम विज्ञान क्षेत्रों में एक क्रांति आई. इस परियोजना में इस समय 9 सेटेलाइट काम कर रहे हैं.

3. चंद्रयान, 2008: ये भारत का पहला मानवरहित मून मिशन था. यह भारत के अंतरिक्ष मिशन में इसे एक बड़ी उपलब्धी माना जाता है. इसमें सफलता के साथ ही ISRO चंद्रमा पर ऑर्बिटर भेजने वाले छह अंतरिक्ष संगठनों की खास सूची में शामिल हो गया था. इस मिशन में भारत को शुरुआती सफलता तो मिली लेकिन, लेकिन कुछ ही देर बाद ISRO का चंद्रयान से संपर्क टूट गया.

4. मंगलयान, 2014: भारत ने बेहद कम बजट में मार्स ऑर्बिटर मिशन को सफलतापूर्वक लॉन्च करके इतिहास रच दिया था. इसकी लागत अमेरिकी परियोजना से कम से कम 10 गुना कम थी. 450 करोड़ रुपये की यह परियोजना मंगल गृह के चारों ओर घूमती है और इसके वायुमंडल और खनिज संरचना की जानकारी भेजती है.

5. 2014 में एक साथ 104 सेटेलाइट लॉन्च: भारत ने एक ही मिशन पर 104 उपग्रहों को सफलतापूर्वक लॉन्च करके इतिहास रच दिया था. इसने रूस के लॉन्च किए गए 37 उपग्रहों के पिछले रिकॉर्ड को तोड़ दिया था. इसमें 3 सेटेलाइट भारत के बाकी सभी विदेशी देशों से था.

इसमें 96 सेटेलाइट सिर्फ अमेरिका के थे, जबकि इजराइल, कजाकिस्तान, संयुक्त अरब अमीरात, स्विट्जरलैंड और नीदरलैंड के भी सेटेलाइट्स को भेजा गया था.

6. चंद्रयान-3: ये भारत का मौजूदा मून मिशन है. ये मिशन सफल रहता है तो भारत चांद फतह करने वाला दुनिया का चौथा देश बन जाएगा. इससे पहले अमेरिका, रूस और चीन को ही मून-मिशन में सफलता मिली है. भारत के इस मिशन का बजट करीब 615 करोड़ रुपये है.

भारत ने चंद्रयान-3 के चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर सॉफ्ट लैंडिंग करते ही इतिहास लिख दिया।

‘भारत चंद्रमा पर है’: इसरो प्रमुख

चंद्रयान 3 के लैंडर मॉड्यूल विक्रम के चंद्रमा पर सुरक्षित और सॉफ्ट लैंडिंग के बाद इसरो प्रमुख एस सोमनाथ ने घोषणा की, “भारत चंद्रमा पर है।”

चंद्रयान-3 लैंडर मॉड्यूल के सॉफ्ट लैंडिंग करते ही बेंगलुरु में इसरो के मिशन ऑपरेशंस कॉम्प्लेक्स में जश्न मनाया गया।

पीएम मोदी ऐसे बोलते हैं जैसे भारत इतिहास लिखता है

यह ऐतिहासिक आंदोलन है और विकसित भारत के लिए बिगुल बजाता है: चंद्रमा पर चंद्रयान की सफल लैंडिंग पर पीएम नरेंद्र मोदी

भारत के चंद्रमा मील के पत्थर पर मोदी

“भारत का सफल चंद्रमा मिशन अकेले भारत का नहीं है। यह एक ऐसा वर्ष है जिसमें दुनिया भारत की जी20 अध्यक्षता देख रही है। एक पृथ्वी, एक परिवार, एक भविष्य का हमारा दृष्टिकोण दुनिया भर में गूंज रहा है।”

पीएम नरेंद्र मोदी

Indian Space Research Organisation’s Chandrayaan-3 moon mission success soft-land.

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