Cotton Marketing From High plains of Texas

Cotton Marketing From High plains of Texas

Gold Silver Reports – A group of likeminded people with interest in entrepreneurialism and developing businesses in Lubbock, Texas is organizing the weekly 1 Million Cups Lubbock
program to kick start start-ups and businesses in the High Plains. 1 Million Cups is a US nationwide educational program for prospective and budding business people developed by Kansas City based Kauffman Foundation.

On March 2nd, Kelly Martin, a licensed professional counsellor briefed the audience about how she created The Playroom Lubbock, a play therapy based counselling service offered to needy children and adolescents. Apart from going over the business plan that has enabled her to have a business with 20 clients in 8 months or so, a valuable marketing tip Kelly Martin gave may be of immense help to budding business people.

A major hurdles that deters young people in venturing into being an entrepreneur is how to go about marketing the products and services. In a question by this scribe Ms. Martin provided her own example of how her company started promoting about the services The Playroom Lubbock will provide even before the company actually became fully operational with a brick and mortar structure.

Apart from flyers and advertisements, it is the face to face briefing and promotional efforts well in advance to prospective buyers before the products are out there to be sold are some sage advice in growing a business.

Planned and well thought out marketing even before a company begins its operation to provide goods and service to customers will be of help to budding entrepreneurs and small business sector. – Neal Bhai Reports

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Neal Bhai has been involved in the Bullion and Metals markets since 1998 – he has experience in many areas of the market from researching to trading and has worked in Delhi, India. Mobile No. - 9899900589 and 9582247600

9 thoughts on “Cotton Marketing From High plains of Texas”

  1. जेनएयू छात्र संघ के अध्यक्ष कन्हैया कुमार जेल से बाहर आने के बाद पूरी तरह मंजे हुए राजनेता की तरह जनता को अपने भाषणों से लुभा रहे हैं। क्या ये उनकी आगामी चुनावों में विपक्ष का चेहरा बनने की तैयारी के तहत हो रहा है। क्या वो चुनावों में सत्ता के खिलाफ बड़ी आवाज़ बनकर उतरने जा रहे हैं। वहीं जेएनयू में लगे देशविरोधी नारों के पीछे उनका कितना हाथ था, इन्हीं सब सवालों पर सीएनबीसी-आवाज़ के प्रधान संपादक संजय पुगलिया ने कन्हैया कुमार के के साथ खास बातचीत की।

    • कन्हैया का एजेंडा क्या है इस सवाल के जबाव में कन्हैया का कहना है कि अन्याय के खिलाफ लंबी लड़ाई है और सच हमेशा सच होता है, बदलता नहीं है। छात्रों को पढ़ाई के साथ देश में चल रहे घटनाक्रम पर भी नजर रखनी चाहिए और गलत के खिलाफ आवाज उठानी चाहिए। छात्र पढ़ाई का इस्तेमाल समाज को बदलने के लिए करें तो देश का भला होगा। जरूरत और वक्त के लिहाज से भाषण दिया जाता है और इस वक्त उन्होंने जेएनयू में ऐसा ही किया है।

      • कन्हैया का कहना है कि वैचारिक पृष्ठभूमि का बड़ा असर होता है और उनकी वैचारिक पृष्ठभूमि मजबूत है। माता-पिता ने कभी अपना फैसला नहीं थोपा और माता-पिता ने हमेशा उन पर भरोसा किया। राजनीति में उतरने के लिए पढ़ाई नहीं छोड़ेंगे और उनकी पढ़ाई और संघर्ष साथ-साथ करने की तैयारी है। लेनिन ने 3 साल की पढ़ाई 1 साल में पूरी की थी तो वो सोने का वक्त घटाकर पढ़ाई पूरी करेंगे। नई पीढ़ी को अपना रास्ता खुद चुनने दिया जाना चाहिए और सही-गलत का फैसला करने की आजादी मिलनी चाहिए। बर्बादी की बात करने वाले देशभक्त नहीं होते और देश में गलत चीजों के खिलाफ आवाज उठानी होगी। न्याय की बात करने वाले ही अन्याय के पक्ष में हो गए हैं।

        • देशद्रोह मुद्दा कैसे बन गया इस सवाल के जवाब में कन्हैया ने कहा कि इस समय गलत काम करने वाले देशभक्ति दिखा रहे हैं और वेमुला, कन्हैया के बहाने देशभक्ति का दिखावा किया जा रहा है। आरएसएस की ऐसी देशभक्ति को देश नकार देगा और ये देश किसी एक पक्ष की देशभक्ति का सर्टिफिकेट नहीं चाहता। पार्टियों को अब नया मुद्दा चाहिए क्योंकि महंगी दाल बेचने वाला गद्दार है जेएनयू के छात्र नहीं और ये सच्चाई अब देश के सामने आ रही है।

          • पार्टियां राष्ट्रवाद तय नहीं कर सकती और राष्ट्रवाद संविधान के मुताबिक तय होगा। देश के हर नागरिक को समान अधिकार मिलना चाहिए और रोजी-रोटी की बात करना देशभक्ति है ना कि देशद्रोह। चंद नारों से हमारा देश नहीं टूट सकता और गृहमंत्री का बयान गैर-जिम्मेदाराना है। नेताओं को ओछी राजनीति से बचना चाहिए और हम देश को बचाने का काम कर रहे हैं ना कि बर्बाद करने का।

          • गाना गाने पर देशद्रोह का गलत आरोप लगाने वालों पर कार्रवाई होनी चाहिए। सरकार ने देशद्रोह कानून का गलत इस्तेमाल किया है और राजद्रोह कानून की जरूरत पर बहस होनी चाहिए। महंगाई की मार के खिलाफ बनी ये सरकार किसान, मजूदर, छात्रों के साथ ज्यादती कर रही है और अपनी नाकामी छुपाने के लिए साजिश कर रही है।

          • आगामी चुनावों में प्रचार करेंगे इस सवाल के जवाब में कन्हैया ने कहा कि उनकी चुनाव प्रचार करने की कोई तैयारी नहीं है और जुल्म के खिलाफ लड़ना फितरत है तो जुल्म के खिलाफ जंग लड़ते रहेंगे। इसका चुनावों से संबंध नहीं है। वो विपक्ष के मुख्य प्रचारक बनेंगे या नहीं तो इस सवाल पर कन्हैया ने कहा कि वो चुनौतियों से पीछे नहीं हटेंगे और जिम्मेदारियों से दूर नहीं भागेंगे। लेकिन विपक्ष को बांटने की जरूरत नहीं है और उनका अभी राजनीति में आने का इरादा नहीं है। वो कम्युनिस्ट पार्टी के प्रवक्ता नहीं हैं। वो सिर्फ झूठी देशभक्ति दिखाने वालों के खिलाफ हैं और देश बनाने वालों के साथ हैं। राजनीति करने का कोई मसौदा नहीं लेकर आए हैं।

          • बंगाल में प्रचार करने के लिए जेएनयू छात्र संघ के नियम से काम करेंगे और जेएनयू छात्र संघ के संविधान के हिसाब से ही काम करेंगे। देश के सामने बड़ी चुनौती है और लोग चुनौती से लड़ने के लिए तैयार हैं। अभी शादी को लेकर कोई विचार नहीं किया है और राजनीति की तरह ही शादी के लिए भी कोई प्लान नहीं किया है। वो सही वक्त पर उचित फैसला लेंगे।

          • सच की लड़ाई ही लड़ रहे हैं और यूनिवर्सिटी की लड़ाई लड़ रहे हैं। मकसद के लिए लड़ने पर मंजिल मिलेगी और ये लंबी लड़ाई है पर थकने की बात नहीं है। सच और झूठ में फर्क होता है और सच को कितना भी झूठ बोलें सच सच ही रहता है। उनके लिए भगत सिंह सबसे बड़ी प्रेरणा है और वो पढ़ाई के लिए लड़ रहे हैं यानी समाज बदलने की पढ़ाई जिसके तहत हर गरीब पढ़ सके ये उनका सपना है। कन्हैया ने कहा कि वो आर्थिक रूप से कमजोर हैं पर उनका परिवार वैचारिक रूप से मजबूत है। परिवार ने कभी कोई दबाव नहीं दिया और अपनी रास्ता खुद चुना है। पढ़ाई को लेकर लेनिन से प्रभावित हैं और लेनिन को कॉलेज से निकाला गया लेकिन 3 साल की पढ़ाई लेनिन ने 1 साल में पूरी की जो उनके लिए प्रेरणास्त्रोत है।

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